यदि आप खेती करने का विचार कर रहे हैं, तो ब्रोकोली की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। यह फूलगोभी की तरह उगाई जाती है और इसमें कई फायदे भी हैं। ब्रोकोली के पौधे से एक मुख्य गुच्छा काटने के बाद भी छोटे गुच्छे उगते रहते हैं, जिन्हें बाद में बेचने या खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ब्रोकोली के फायदे
ब्रोकोली, जिसे हरी गोभी भी कहा जाता है, में विटामिन A, C, कैल्शियम, क्रोमियम, लोहा और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं। इसमें फाइटोकेमिकल्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को बीमारी और इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं। ब्रोकोली विटामिन C में समृद्ध है और यह कई बीमारियों से बचाव करने के साथ-साथ प्रोस्टेट और ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी कम करता है।
जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएं
ब्रोकोली को ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें दिन कम और ठंडे तापमान पर फूल अच्छी तरह बढ़ते हैं। यदि तापमान अधिक हो, तो फूल छितरे हुए, पत्तेदार और पीले हो सकते हैं। ब्रोकोली की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें पर्याप्त जैविक खाद डाली जाए।
ब्रोकली की प्रजाति और संकर किस्में
ब्रोकोली की लोकप्रिय किस्में हरे रंग की गांठों वाली होती हैं, जिनमें नाइनस्टार, पेरिनियल, इटैलियन ग्रीन स्प्राउटिंग, केलेब्रस, बाथम 29 और ग्रीनहेड प्रमुख हैं। इसके अलावा, संकर किस्में जैसे पाईरेटपेक, प्रिमियक्राप, क्लिपर, क्रुसेर, स्टिक और ग्रीनसर्फ़ भी उपलब्ध हैं। हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने पूसा ब्रोकोली 1 प्रजाति की खेती की सिफारिश की है, जो हिमाचल प्रदेश के कटराइन क्षेत्र में उपलब्ध है।
ब्रोकली की बुवाई का समय
उत्तर भारत में ब्रोकोली उगाने का सबसे अच्छा समय ठंडे मौसम में होता है। पौधों की अच्छी वृद्धि और बीज के अंकुरण के लिए तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। नर्सरी तैयार करने का समय अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से लेकर नवंबर के पहले सप्ताह तक होता है। कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बुवाई सितंबर-अक्टूबर में, मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अगस्त-सितंबर में और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल में की जाती है।
बीज दर और नर्सरी की तैयारी
ब्रोकोली के बीज बहुत छोटे होते हैं। एक हेक्टेयर की नर्सरी तैयार करने के लिए लगभग 375 से 400 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। नर्सरी तैयार करते समय, बीज को 3 फीट लंबी और 1 फीट चौड़ी क्यारी में 2.5 सेमी की गहराई पर बुवाई की जाती है। बुवाई के बाद क्यारी को घास-फूस की महीन परत से ढक दिया जाता है और समय-समय पर सिंचाई की जाती है।
खेत की तैयारी और रोपाई
ब्रोकली की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। सितंबर से नवंबर तक तैयार किए गए पौधे 4-5 सप्ताह में खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। नर्सरी में पौधे 8-10 सप्ताह के बाद रोपाई के लिए तैयार होते हैं। रोपाई के समय पौधों के बीच 45 से 60 सेमी की दूरी रखें। रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
खाद और उर्वरक का प्रयोग
रोपाई की अंतिम तैयारी करते समय, प्रति 10 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 50 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद, नीम की खली और 1 किलोग्राम अरंडी की खली को अच्छे से मिलाकर क्यारी में बिखेर दें। रासायनिक खाद की आवश्यकता के अनुसार गोबर की सड़ी खाद (50-60 टन), नाइट्रोजन (100-120 किलो/हेक्टेयर), और फॉस्फोरस (45-50 किलो/हेक्टेयर) का उपयोग करें।
सिंचाई और निराई-गुड़ाई
ब्रोकोली को 10 से 15 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। इस फसल को अच्छे से बढ़ने के लिए खरपतवार को नियमित रूप से क्यारी से हटाना चाहिए। गुड़ाई के बाद, पौधों के पास मिट्टी डाली जाती है, ताकि पौधे गिरें नहीं।
कीट और बीमारियों से बचाव
ब्रोकोली की खेती में कुछ कीट और बीमारियां भी हो सकती हैं, जैसे:
- सरसो माहू: यह कीट पत्तियों के निचले हिस्से में रहता है। इससे बचने के लिए रोगोर दवा का छिड़काव करें।
- डायमंड की पीठ: इस कीट की सुंडी पत्तियों को खाती है। इसके नियंत्रण के लिए मेटासिस्टाक्स दवा का छिड़काव करें।
- कैबज बोरर: यह कीट तनों को खाता है और पौधों की वृद्धि रोकता है। इससे बचने के लिए मेटासिस्टाक्स का उपयोग करें।
- पातगोभी की पीत की बीमारी: इस बीमारी का कारण फ्यूजेरियम नामक फफूंद है, जो पौधों को पीला कर देता है।
ब्रोकली की कटाई और उपज
ब्रोकोली के मुख्य हरे कलियों का गुच्छा 65-70 दिन में तैयार हो जाता है। कटाई करते समय ध्यान रखें कि गुच्छा पूरी तरह से कटा हुआ हो। मुख्य गुच्छा काटने के बाद छोटे गुच्छे भी तैयार हो जाते हैं। एक हेक्टेयर में ब्रोकोली की उपज 12-15 टन तक हो सकती है।
ब्रोकोली की खेती से आमदनी
अगर आपके पास 1 एकड़ (43500 स्क्वायर फीट) क्षेत्र है, तो आप 3-4 महीने में 1.25 लाख से 1.5 लाख रुपये तक की आमदनी कमा सकते हैं।
गणना के अनुसार आमदनी:
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ब्रोकोली के पौधे = 6000
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पौधों का नुकसान = 1000 पौधे
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स्वस्थ पौधे = 5000
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प्रति पौधा (500 ग्राम से 1 किलो) की कीमत 75 रुपये मानते हुए:
आमदनी = 5000 x 75 = 375000 रुपये
खर्च = 1 लाख से 1.5 लाख रुपये (सिंचाई, बीज, कीटनाशक दवाइयाँ, ट्रांसपोर्टेशन, आदि)
कुल मुनाफा = 1.25 लाख से 1.75 लाख रुपये (केवल 3-4 महीने में)
इस प्रकार, ब्रोकोली की खेती एक लाभकारी और आकर्षक विकल्प हो सकती है, जिससे कम समय में अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।