कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में अचानक तापमान में बढ़ोतरी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। किसानों को अभी तक गेहूं की फसल से अच्छे परिणाम की उम्मीद थी, लेकिन अब तापमान के अचानक बढ़ने से उनके चेहरों पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह तापमान इसी तरह बढ़ता रहा, तो गेहूं की फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
तापमान बढ़ने से किसानों में चिंता की लहर
हरियाणा में इस साल लगभग 37 लाख एकड़ की भूमि पर गेहूं की खेती की जा रही है। इस बार की फसल को लेकर किसानों में सकारात्मक उम्मीदें थीं। शुरुआती मौसम ने यह संकेत दिया था कि गेहूं की फसल बेहतर रहेगी और किसानों के चेहरे पर खुशियां आएंगी। लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ा, किसानों के दिलों में डर समाने लगा।
बीते कुछ दिनों में दिन और रात के तापमान में काफी अंतर आया है। रात का तापमान अचानक 2.5 से 3 डिग्री तक बढ़ चुका है, जबकि दिन में भी गर्मी महसूस हो रही है। इस अप्रत्याशित गर्मी ने किसानों को चिंतित कर दिया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तापमान इसी तरह बढ़ता रहा, तो गेहूं की फसल को बुरा असर हो सकता है, खासकर जब फसल “दूध” बनने की अवस्था में हो, यानी दाने का आकार बनने के समय में हो।
फसलों के लिए खतरे की घंटी
अगले कुछ हफ्तों में गेहूं की फसल का आकार बनने के बाद फसल के दाने में भी वृद्धि होनी थी, लेकिन इस समय अत्यधिक गर्मी के कारण फसलों के लिए यह स्थिति नुकसानदायक साबित हो सकती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं की फसल में “दूध बनना” (grain formation) एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब दाने का आकार और गुणवत्ता निर्धारित होती है। यदि इस समय अधिक तापमान हुआ, तो गेहूं के दाने पतले और कमजोर हो सकते हैं, जिससे उत्पादन में कमी आ सकती है।
कृषि विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि जब रात का तापमान कम नहीं होता और दिन में गर्मी अधिक होती है, तो यह गेहूं की फसल के लिए खतरनाक हो सकता है। गेहूं की फसल को अच्छे दाने के लिए तापमान में संतुलन होना जरूरी होता है, जो इस समय नहीं देखा जा रहा है। अगर यही स्थिति रही, तो निश्चित रूप से गेहूं की पैदावार में कमी आएगी।
किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञों के सुझाव
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय किसानों को अपनी फसल की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय अपनाने की आवश्यकता है। यदि तापमान में वृद्धि जारी रहती है, तो गेहूं की फसल को बचाने के लिए कुछ रणनीतियां अपनाई जा सकती हैं:
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सिंचाई का सही समय: तापमान बढ़ने के कारण फसल को पानी की अधिक आवश्यकता हो सकती है। किसान सिंचाई को सही समय पर और आवश्यकता अनुसार करें ताकि फसल को पर्याप्त नमी मिल सके।
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पानी के छिड़काव से मदद: किसान दिन में सूरज की तेज़ी से फसल को बचाने के लिए पानी का छिड़काव कर सकते हैं। यह फसल को ठंडक देगा और उसे गर्मी से राहत मिलेगी।
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मुल्चिंग का प्रयोग: गेहूं की फसल के आसपास मुल्च (कृषि कवर) बिछाने से मिट्टी की नमी बनी रहती है और गर्मी से फसल की सुरक्षा होती है। यह तरीका फसल की उपज को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।
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फसल में पोषक तत्वों का सही प्रबंधन: गेहूं की फसल में उचित मात्रा में उर्वरक और पोषक तत्वों का इस्तेमाल करने से फसल की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
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फसल को धूप से बचाना: जहां तक संभव हो, किसान अपनी फसलों के लिए पेड़-पौधों या किसी भी अन्य संरचना का उपयोग करके सूरज की सीधी धूप से बचाने का प्रयास कर सकते हैं।
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फसल की निगरानी: किसानों को अपनी फसल की नियमित निगरानी करते रहनी चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई बीमारी या कीटों का असर न हो, किसानों को समय-समय पर अपने खेतों की जांच करनी चाहिए।
सार्वजनिक उपाय और सरकार की भूमिका
किसानों के लिए मौसम की इस अचानक बढ़ती गर्मी को लेकर सरकार को भी कुछ कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को किसानों को जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए उपयुक्त योजनाओं और सहायता प्रदान करनी चाहिए। जैसे कि किसानों को सिंचाई के लिए आसान और सस्ता कनेक्शन देना, कृषि विशेषज्ञों की टीमों को खेतों तक भेजना, और मौसम आधारित कृषि सलाह देना।
इसके अलावा, सरकार को किसानों को जैविक खेती और अन्य ऐसे कृषि उपायों के बारे में प्रशिक्षित करना चाहिए, जो अत्यधिक तापमान के दौरान भी फसल को सुरक्षित रख सकें। किसानों को सलाह देने के लिए हरियाणा सरकार को कृषि केंद्रों और स्थानीय कृषि अधिकारियों को सक्रिय रूप से काम पर लगाना चाहिए ताकि किसानों को सही मार्गदर्शन मिल सके।
अलग-अलग क्षेत्रों पर प्रभाव
इस गर्मी का असर केवल गेहूं की फसल पर ही नहीं, बल्कि अन्य फसलों पर भी हो सकता है। किसान पहले ही अन्य फसलों जैसे चावल, मक्का और तिलहन की स्थिति को लेकर चिंता में हैं। इस प्रकार की अचानक बढ़ी गर्मी से फसल की पैदावार पर असर पड़ सकता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है।
विशेष रूप से गेहूं के लिए यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही वह समय है जब फसल का दाना बनने लगता है और उत्पादन का स्तर तय होता है। यदि तापमान नियंत्रण में नहीं रहता है, तो गेहूं की पैदावार में न केवल कमी आएगी, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह:
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस समय किसानों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। तापमान के अत्यधिक बढ़ने से पहले अगर किसान इस पर नियंत्रण करने के लिए सही कदम उठाते हैं, तो फसल का नुकसान कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए बेहतर है कि किसान उन्नत तकनीकों का सहारा लें और विशेषज्ञों से सलाह लेकर अपने खेतों में उचित कदम उठाएं।