कृषि क्षेत्र में किसानों के लिए एक आम समस्या रही है – पारंपरिक फसलों की कमाई से घर के खर्चे मुश्किल से ही पूरे हो पाते हैं। यह स्थिति अक्सर किसानों को एक अलग रास्ता तलाशने की प्रेरणा देती है। सागर जिले के रहली विकासखंड के कैलवास गांव के एक किसान ने भी पारंपरिक खेती की सीमाओं को पार कर एक नई दिशा में कदम बढ़ाया। इस किसान ने दामाद की सलाह पर अश्वगंधा की खेती शुरू की, और अब उसे इस खेती से तीन से चार गुना अधिक मुनाफा होने की उम्मीद है। यह कहानी न सिर्फ एक किसान की मेहनत और सोच की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे कुछ नया अपनाकर किसान अपनी तकदीर बदल सकते हैं।
पारंपरिक खेती का बदलता चेहरा
निलेश कुर्मी, जो कैलवास गांव के एक युवा किसान हैं, ने बताया कि उनके परिवार के लोग पीढ़ियों से गेहूं, चना, मसूर और मटर की खेती करते आ रहे हैं। यह फसलें पारंपरिक रूप से गांव में उगाई जाती रही हैं। हालांकि, इन पारंपरिक फसलों से मिलने वाला मुनाफा इतना कम था कि बस घर का खर्च ही निकल पाता था। एक एकड़ गेहूं की खेती करने पर अधिकतम 50,000 रुपये का लाभ मिलता था, लेकिन कभी-कभी दाम इतने कम होते थे कि इस राशि से भी खेती के खर्चों का भुगतान मुश्किल हो जाता था।
यह हालात निलेश को परेशान कर रहे थे, और वे कुछ नया करने के बारे में सोच रहे थे। तब उनके दामाद ने उन्हें एक नया विचार दिया। दामाद ने उन्हें औषधीय फसल की खेती करने का सुझाव दिया, जो न सिर्फ पारंपरिक फसलों से ज्यादा लाभकारी हो सकती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी फायदेमंद हो सकती है। यही सुझाव निलेश के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ।
अश्वगंधा की खेती – एक नई शुरुआत
अश्वगंधा, जिसे भारतीय ginseng भी कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जो खासतौर पर तनाव, थकान, और शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, यह शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए भी इस्तेमाल होता है। निलेश ने पिछले साल केवल 30 डेसिमल भूमि में अश्वगंधा की खेती की थी, और इस खेती से उन्हें 35,000 रुपये का मुनाफा हुआ था।
यह मुनाफा देखकर निलेश को विश्वास हुआ कि यदि वह इस खेती को बड़े पैमाने पर करते हैं, तो फायदा कई गुना बढ़ सकता है। इस साल उन्होंने एक एकड़ भूमि में अश्वगंधा की बुवाई की और अब फसल भी अच्छी हो रही है। निलेश का कहना है कि गेहूं, चना, मसूर जैसी पारंपरिक फसलों से इस फसल के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक मुनाफा होने की उम्मीद है।
औषधीय फसल का बढ़ता आकर्षण
सागर जिले के कैलवास गांव में निलेश के अश्वगंधा की खेती से जुड़े निर्णय के बाद अब और भी कई किसान इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। आसपास के गांवों के किसान भी छोटी-छोटी जगहों पर अश्वगंधा की खेती करने का प्रयास कर रहे हैं। निलेश बताते हैं कि जब वे अपनी फसल को बाजार में बेचने जाते हैं, तो उसे अच्छी कीमत मिलती है, क्योंकि अश्वगंधा की मांग देश और विदेश में दोनों जगह बढ़ रही है।
निलेश के लिए अश्वगंधा की खेती ने न केवल मुनाफा बढ़ाया है, बल्कि यह उन्हें एक नए तरह का आत्मविश्वास भी दे रहा है। पारंपरिक फसलों में, जहां कड़ी मेहनत के बावजूद मुनाफा बहुत कम था, वहीं अश्वगंधा ने निलेश को कृषि के क्षेत्र में एक नया रास्ता दिखाया।
पारंपरिक खेती से इतर नए विकल्प का मार्ग
युवाओं के लिए यह एक प्रेरणादायक कहानी है। जब वे पारंपरिक तरीकों से थक जाते हैं और वे महसूस करते हैं कि इनसे कोई लाभ नहीं हो रहा, तो उन्हें नए प्रयोगों की ओर बढ़ने की जरूरत है। निलेश जैसे किसान यह साबित कर रहे हैं कि यदि सही सलाह ली जाए और सही दिशा में काम किया जाए, तो पारंपरिक खेती के अलावा भी लाभदायक विकल्प मौजूद हैं।
यहां तक कि पारंपरिक फसलों के मुकाबले औषधीय फसलों की मांग बाजार में बहुत ज्यादा बढ़ रही है। औषधीय फसलें न केवल उच्च दाम में बिकती हैं, बल्कि इनकी उत्पादन लागत भी अपेक्षाकृत कम होती है। इसके अलावा, ये फसलें पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होती हैं, क्योंकि इनकी खेती से मृदा की सेहत में भी सुधार होता है।
आगे का रास्ता: अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा
निलेश का मानना है कि अश्वगंधा की खेती केवल उनका ही नहीं, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। उनका कहना है कि यदि किसान एक साथ मिलकर इस तरह की खेती पर ध्यान दें, तो वे न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा भी पैदा कर सकते हैं। निलेश ने यह भी कहा कि इस खेती में मेहनत तो लगती है, लेकिन उसका मुनाफा बहुत अच्छा होता है।
निलेश की सफलता की कहानी एक मॉडल बन सकती है।
यह सफलता की कहानी यह साबित करती है कि किसान यदि नए तरीके से खेती करें और बाजार की मांग को समझकर अपनी फसलें उगाएं, तो उन्हें अच्छा मुनाफा मिल सकता है। अश्वगंधा जैसी औषधीय फसलें आजकल बहुत लोकप्रिय हो रही हैं, और इनके लाभ के बारे में अधिक से अधिक लोग जागरूक हो रहे हैं। इस प्रकार के प्रयोगों से न सिर्फ किसानों का मुनाफा बढ़ता है, बल्कि यह कृषि क्षेत्र में विविधता भी लाता है।
निष्कर्ष:
कैलवास गांव के किसान निलेश कुर्मी ने पारंपरिक खेती की सीमाओं को पार करते हुए औषधीय फसल, अश्वगंधा की खेती शुरू की और अब वह तीन से चार गुना मुनाफा कमा रहे हैं। यह कहानी दिखाती है कि सही सलाह और नए प्रयोगों के जरिए किसान अपनी तकदीर बदल सकते हैं। अन्य किसानों के लिए यह एक प्रेरणा हो सकती है, जो पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक लाभकारी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।