खेती में जंगली घास की समस्या खत्म! ये 4 उपाय देंगे बेहतरीन परिणाम
जंगली घास का प्रभाव:
जंगली घास के नियंत्रण से खेती की उपज बढ़ती है, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन प्राप्त होता है और गेहूँ की खेती में वृद्धि होती है। किसानों को सही समय पर कौन सी और कैसी दवा का उपयोग करना चाहिए, जिससे फसल स्वस्थ रहे और उत्पादन अधिक हो, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
गेहूँ की खेती में जंगली घास की समस्या:
गेहूँ की खेती में जंगली घास उग आना किसी चुनौती से कम नहीं है। यह किसानों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है। जंगली घास न केवल गेहूँ बल्कि जमीन के सारे पोषक तत्वों को अपने लिए उपयोग कर लेती है, जिससे अन्य फसलों का उत्पादन कम हो जाता है।
यदि गेहूँ के खेत में जंगली घास उग आती है, तो वह जमीन में मौजूद विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेती है, जिससे गेहूँ की फसल को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता और उत्पादन में गिरावट आती है। आजकल किसानों के लिए यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
जंगली घास के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ गेहूँ के पौधे जैसे ही दिखते हैं, लेकिन वे गेहूँ नहीं होते।
Example: गेहूँ के खेत में मंडूसी नाम की घास पाई जाती है, जो बिल्कुल गेहूँ जैसी दिखती है लेकिन यह गेहूँ की सबसे बड़ी दुश्मन होती है। मंडूसी घास गेहूँ के पौधों के बढ़ने में बाधा डालती है और उनकी गुणवत्ता को खराब करती है।
किसानों को इस समस्या से बचने के लिए कीटनाशकों और अन्य उपयुक्त दवाओं का सही उपयोग करना चाहिए, ताकि जंगली घास को नियंत्रित किया जा सके और गेहूँ की उपज बढ़ाई जा सके।
जंगली घास को खत्म करने के उपाय:
1. सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% डब्लूजी:
- यह केमिकल आरी घास और जंगली जई जैसी घास को जड़ से समाप्त करता है।
तैयारी विधि:
1) 500 मिलीलीटर सरफेक्टेंट को 6 लीटर पानी में मिलाएँ।
2) इसमें 5 ग्राम सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% डब्लूजी डालकर घोल तैयार करें।
3) तैयार घोल को 120-200 लीटर पानी में मिलाकर, 25-26 दिन के बाद फसल पर छिड़काव करें।
4) प्रति एकड़ क्लोडिनाफॉप प्रोपरजिल 15% डब्लूपी का 160 ग्राम छिड़काव करें।
2. मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल 20% डब्लूपी:
- यह केमिकल कृष्ण नील और तीन पत्तियों वाली प्याजी जैसी घास को खत्म करने के लिए उपयोग किया जाता है।
तैयारी विधि:
1) 200 मिलीलीटर सरफेक्टेंट को 6 लीटर पानी में मिलाएँ।
2) इसमें 8 ग्राम सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% डब्लूजी डालकर घोल तैयार करें।
3) 25-35 दिन के बाद, प्रति एकड़ 120-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
3. सल्फोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 75% + मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल 5% डब्लूजी:
- यह मिश्रण वन गेहूँ और चौड़ी पत्तियों वाली जंगली घास को जड़ से समाप्त करता है।
तैयारी विधि:
1) 500 मिलीलीटर सरफेक्टेंट में 16 ग्राम दवा मिलाकर छिड़काव करें।
4. 2-4 डी ईथाइल ईस्टर 38% ईसी:
- यह चौड़ी पत्तियों वाली घास को नियंत्रित करने में सहायक है।
तैयारी विधि:
1) 5 लीटर दवा को प्रति एकड़ पानी में मिलाएँ।बुआई के 30-35 दिन बाद फसल पर छिड़काव करें।
जंगली घास को नियंत्रित करने में सावधानियाँ:
1) दवाओं का छिड़काव अच्छे मौसम में करें।
2) छिड़काव के लिए कट-नोजल, फ्लड-जेट नोजल या फ्लैट-फैन नोजल का उपयोग करें।
3) छिड़काव के दौरान खेत में कोई मानव या पशु गतिविधि न हो।
4) तेज हवा में या हवा की विपरीत दिशा में छिड़काव न करें।
5) आंख, मुंह, हाथ और नाक की सुरक्षा के लिए फेस मास्क, दस्ताने और बूट का प्रयोग करें।
Conclusion:
गेहूँ की खेती में जंगली घास एक बड़ी समस्या है, जो फसल के पोषक तत्वों को अवशोषित कर उत्पादन में कमी लाती है। इसे नियंत्रित करने के लिए सही समय पर प्रभावी दवाओं का छिड़काव करना जरूरी है। सल्फोसल्फ्यूरॉन, मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल, और 2-4 डी ईथाइल ईस्टर जैसी दवाएँ जंगली घास को खत्म करने में मदद करती हैं।
इसके साथ ही, दवाओं का छिड़काव करते समय मौसम, सुरक्षा उपाय और सही तकनीक का ध्यान रखना चाहिए। यदि किसान उचित नियंत्रण उपाय अपनाते हैं, तो वे अपनी फसल को जंगली घास से बचाकर उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं। 🌾